क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
आखिर क्या गम था
जिसे तू मुस्कुराह्टो मे
छिपाता चला गया ll
तिनका तिनका समेट कर
बनाया था आशिया ,
क्यू तू उसे सूखी
घास समझ कर
जलाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
मन्गे थे फ़ूल
क्यो मेरी राहो मे काटे
बिछात चला गया ll
पायी थी मन्जिल
फ़िर क्यू तू उसे
रास्ते बनाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
पास होकर भी तू
क्यू दूर जात चला गया ll
मेरी खूबियो को छोड क्यो
मेरी कमियो को
गिनाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
बदलते वक्त के साथ
तेरे रन्ग भी बदलने लगे
मेरे जिन्दगी के रन्ग चुरा कर
खुद कि जिन्दगी क्यो रन्गीन
बनाता चल गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुक्र्राता चला गया ll
रूठ्ना मनाना तो
जिन्दगी का फ़साना है l
क्यू हमे छोड तू दूसरो को
मनात चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
नीव की तरह मजबूत थे मेरे
इरादे क्यू तास के पत्तो कि तरह
बिखेरता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
रन्गीन आसम पे
सुनह्री धूप थी
क्यू आसुयो कि
बारिश मे भिगात चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
मेरी खामोशियो को तू
आपनी ताकत समझ कर
क्यू बेवजह जुर्म ढाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
दोस्ती कर
दुश्मनी निभाता चला गया
गमो को मिटाने के वादे कर
मेरी मुस्कूराह्टो पे ताले
लगता चला गया ll
क्या खता थी हमारी l
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
आजाद पन्छी से थे, ख्वाब मेरे
तू क्यू उनको बेडिया
पह्नाता चला गया ll
मेरी तन्हायियो मे तू क्यो
अपने गमो कि चाद्र्र
बिछाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll .....जूही
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
आखिर क्या गम था
जिसे तू मुस्कुराह्टो मे
छिपाता चला गया ll
तिनका तिनका समेट कर
बनाया था आशिया ,
क्यू तू उसे सूखी
घास समझ कर
जलाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
मन्गे थे फ़ूल
क्यो मेरी राहो मे काटे
बिछात चला गया ll
पायी थी मन्जिल
फ़िर क्यू तू उसे
रास्ते बनाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
पास होकर भी तू
क्यू दूर जात चला गया ll
मेरी खूबियो को छोड क्यो
मेरी कमियो को
गिनाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
बदलते वक्त के साथ
तेरे रन्ग भी बदलने लगे
मेरे जिन्दगी के रन्ग चुरा कर
खुद कि जिन्दगी क्यो रन्गीन
बनाता चल गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुक्र्राता चला गया ll
रूठ्ना मनाना तो
जिन्दगी का फ़साना है l
क्यू हमे छोड तू दूसरो को
मनात चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
नीव की तरह मजबूत थे मेरे
इरादे क्यू तास के पत्तो कि तरह
बिखेरता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
रन्गीन आसम पे
सुनह्री धूप थी
क्यू आसुयो कि
बारिश मे भिगात चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
मेरी खामोशियो को तू
आपनी ताकत समझ कर
क्यू बेवजह जुर्म ढाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
दोस्ती कर
दुश्मनी निभाता चला गया
गमो को मिटाने के वादे कर
मेरी मुस्कूराह्टो पे ताले
लगता चला गया ll
क्या खता थी हमारी l
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll
आजाद पन्छी से थे, ख्वाब मेरे
तू क्यू उनको बेडिया
पह्नाता चला गया ll
मेरी तन्हायियो मे तू क्यो
अपने गमो कि चाद्र्र
बिछाता चला गया ll
क्या खता थी हमारी
जो मेरी अर्जियो को
तू ठुकराता चला गया ll .....जूही